नीलकंठ महादेव

राजस्थान के अलवर जिले के थानागाजी के सिमावती इलाके में दबकण गांव के पास श्री नीलकण्ठ महोदवजी का बहुत ही पुरातन मन्दिर है। अनुमान लगाया जाता है कि यह मन्दिर बौद्ध युग का बना हुआ है। यहां से प्राप्त अवषेषों में महात्मा बुद्ध की अनेक खण्डित प्रतिमा प्राप्त हुई हैं तथा अभी भी बीच बीच में प्राप्त होती रहती है। इस क्षेत्र को पुरातत्व विभाग ने अपने आधीन ले रखा है। जन मानस में व्याप्त धारणा इस मन्दिर को तथा नजदीक ही बनी एक सुन्दर बावड़ी को पांडवों द्वारा निर्मित मानते है। इस मन्दिर में कहीं चूना व सीमेन्ट का उपयोग नही लगता पत्थरों का लोहे के सरिये देकर जोडा गया है।

मन्दिर के सेवा पूजा बडे ही सुन्दर रुप से चलती रहती है। यहां पर अनेक अखण्ड ज्योतियां चलती रहती है। भक्तों की मन इच्छा पूर्ण करने में सक्षम नीलकण्ठजी के यहां पर दर्षनार्थियों का तांता लगा रहता है।
कहते है यहां पर एक सुन्दर शहर था जिसमें 360 मन्दिर थे फिर न जाने कैसे यह शहर भूमि में समा गया। लेकिन आज इस क्षेत्र में भूमि खोदने पर अनेक अवषेष प्राप्त होते है जिनमें ज्यादातर मूर्तियां ही होती हैं। पुरातत्व विभाग ने यहां पर जमीन से खोदकर हजारों मूर्तियां इकट्ठी कर रखी हैं। इसके नजदीक ही राम कुण्ड है जिसको किसी राजा ने बनवाया था। इसमें हर समय पानी भरा रहता है।

पाण्डव गुप्त बनवास के समय इस क्षेत्र में आये थे। विराट नगर भी इसी क्षेत्र के पास है, जहां पर पांडव कमलनयन के दरबार में सेवक बनकर रहे थे। अर्जुन ने इस मन्दिर में तपस्या की थी और अनेकों वरदान प्राप्त किये थे । कहते हैं यह षिवलिंग भूमि से ही प्रकट हुुआ था।

अलवर नरेष राजा जयसिंह ने विपत्ती के समय इस नीलकण्ठ की सेवा पूजा की थी। उनके कार्य बन जाने पर उन्होने अखण्ड ज्योति जलाई थी। वो अखण्ड ज्योति आज भी उनके परिवार की तरफ से ही है।
यहां पर पुरातत्व विभाग व राजस्थान पुलिस के अनेक कर्मचारी हर समय मौजूद रहते हैं। वे लोग आने जाने वाले भक्तों की अच्छी सेवा करते हैं। श्रावण मास में यहां पर पूरे महीने मेला सा लगा रहता है। सवामणी, भजन, सत्संग, रात दिन चलते रहते है। अनेक साधू संत भी बीच-बीच में दर्षन हेतु पधारते रहते है।

यहां पर श्री महाबीरजी की एक विषाल मूर्ति भी लगी हुई है। जनमानस में तथा पुरातत्व विभाग भी इस मूर्ति को नौ गजे के नाम से ही इंगित करता है। लेकिन मेरे अनुमान में यह श्री महाबीर जी की मूर्ति लगती है। एक सुन्दर बावड़ी भी इस क्षेत्र की विषेषता है।