नारायणी माता

थानागाजी के गांव गोलाकाबास से 8 कि.मी. दूर श्री नारायणी माता का बड़ा ही भव्य व धार्मिक स्थान है। अनेक धर्मषालाओं व संत आश्रमों से घिरा माताजी का मन्दिर ऐसा लगता है मानों हीरों के बीच एक लाल रखा हो माताजी के मन्दिर के सामने का पवित्र सरोवर जल से परिपूर्ण रहता है। इससे थोड़ी दूरी पर दूसरा सरोवर जो कि जनमानस के स्नान हेतु बनाया गया है। इसमें गंगा का प्रवाह अगाध गति से गतिमान रहता है।

कथा ऐसे है। राजौर गांव के बारबर जाति के एक व्यक्ति नें शंकर भगवान की तपस्या की । इन्होंने एक काष्ठ का पुत्र बना रखा था। क्योकि इनके कोई पुत्र नहीं था। एक दिन अचानक उनका यह काष्ठ का पुत्र पलने से गायब हो गया। श्री सेनभक्त बड़े व्याकुल हो भगवान शंकर के चरणों में लिपट गये और अपने पुत्र हेतु प्रार्थना करने लगे तो शंकर भगवान स्वयं बालक बनकर पालने में लेट गये।
दूसरी तरफ मोरामार के एक वयक्ति पुत्री प्राप्त करने हेतु पार्वती की पूजा कर रहे थे । स्वयं पार्वती जी कलारुप में पुत्री बनकर श्री सेनभक्त के घर प्रकट हुई। समय पाकर दोनों की शादी हुई। एक बार नारायणी घर से विदा होकर पति के साथ ससुराल आ रही थी। रास्ते में पेड की छाया में विश्राम कर रहे थे कि एक सांप आकर काट गया इन्होने अपना शरीर त्याग दिया। उनके साथ ही नारायणी भी सती हो गई और इस प्रकार इस स्थान को धन्य कर दिया।

कहते है एक बार राज जयसिंहजी को मारने हेतु वायसराय ने षडयन्त्र रचा था। राजा जयसिंह ने अपने प्राणसंकट में देख वही पर नारायणी माता को याद किया। भृतहरी को याद किया तो तत्काल दानों वहां प्रकट हो गये और जयसिंह जी की प्राण रक्षा की। वहां से वापस आकर जयसिंह जी ने यहां कुंड का निर्माण व मेला प्रारम्भ करवाया। यहां पर एक वैष्णव व संत पधारे। जिन्होने यहां पर एक गोपालजी के मन्दिर का निर्माण करवाया था जिसकी सेवा पूजा आज भी विधि-विधान पूर्वक होती रहती है।

लेकीन एक महात्मा जी ने इस स्थान के बारे में कथा बताई वो इस प्रकार है कि यह नारायणी धाम पीठों में से एक पीठ है यहां पर सती का कोई अंग गिरा था। इसी कारण यह स्थान पीठ नारायणी धाम है। यहाँ पर एक मूर्ति लगी है जिस पर डमरु व शंकरजी की फोटो लगी है तथा यहां पर पहले ब्राहा्रण पूजा किया करते थे। कहते है उनके पास पूजा अधिकार का कोई पुराना पट्टा भी है। क्या सत्य है और किस घटना के आधार पर यह नारायणीधाम नाम पड़ा है यह भगवान ही जानता है। बस हम तो यह जानते हैं कि यह एक पवित्र धाम है सात्विक धाम हैं।